लेंज का नियम लिखिए | lenz law in hindi
लेंज का नियम लिखिए तथा समझाइए
उत्तर:–लेंज का नियम:– इस नियम के अनुसार– "विद्युत चुंबकीय प्रेरण कि प्रत्येक अवस्था में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण वह स्वयं उत्पन्न हुई है ।" इसे लेंज का नियम कहते हैं। यह नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम अनुकूल है।
जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव (N) को कुंडली के पास लाते हैं तो कुंडली को वह फलक जो चुंबक की ओर होता है लेंज के नियम अनुसार ध्रुव की तरह कार्य करने लगता है। समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण होता है। अतः चुम्बक और कुंडली के मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है। इस प्रतिकर्षण बल के विरोध चंबक को कुंडली के पास लाने में कार्य करना पड़ता है। आत: यही यांत्रिक कार्य विद्युत धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
जब चुंबक के N ध्रुव को दूर ले जाते हैं तो चुंबक की ओर कुंडली का फलक S ध्रुव की तरह कार्य करने लगता है। असमान ध्रुवों में आकर्षण होता है। अतः चुंबक और कुंडली के मध्य आकर्षण बल कार्य करने लगता है। इस आकर्षण बल के विरोध चुंबक को दूर ले जाने में पुनः कार्य करना पड़ता है यही यांत्रिक कार्य विद्युत ऊर्जा अर्थात विद्युत धारा के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुकूल क्यों है समझाइए?
उत्तर:– जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली के किसी तल के पास लाते हैं तो लेंज के नियम अनुसार कुंडली का वह तल उत्तरी ध्रुव बन जाता है आता चुंबक और कुंडली के मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध चुंबक को कुंडली के पास लाने में कार्य करना पड़ता है यही यांत्रिक कार्य विद्युत ऊर्जा अर्थात प्रेरित धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है किंतु उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाते हैं तो कुंडली का वह तल दक्षिणी ध्रुव बन जाता है आता चुंबक और कुंडली के मध्य आकर्षण बलकार करने लगता है इस आकर्षण बल के विरुद्ध चुंबक को दूर ले जाने में पुनः कार्य करना पड़ता है यही यांत्रिक कार्य प्रेरित धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है आता लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुकूल है।
ध्यान रहे, जब कुंडली का परिपथ खुला होता है तो चुंबक को कुंडली के पास लाने या दूर ले जाने में कोई कार्य करना नहीं पड़ता है