बायोपेटेन्ट क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए/What is Biopatent? write short note
बायोपेटेन्ट क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:–
बायोपेटेन्ट(Biopatent):– प्राचीन काल में मानव के उपयोग में आने वाली वस्तुओं का व्यावसायीकरण कम स्तर पर था आधुनिकता एवं औद्योगिक विकास के साथ-साथ व्यावसायीकरण का दायरा बढ़ता जा रहा है। जैविक संस्थान भी इससे अछूते नहीं है आज विश्व की बहुराष्ट्रीय कंपनियां बायोपाइरेसी के द्वारा जैविक संसाधनों का दुरुपयोग कर रही है, जिसके कारण खोजकर्ताओं को उनके अनुसंधान कार्य का लाभ नहीं मिल पाता है। इसे रोकने के लिए ही बायोपेटेंट प्रारंभ किया गया है इसके अंतर्गत अन्वेषण का एक विशिष्ट समय तक लाभ दिलाने, उनके द्वारा उत्पादित सामग्री के उत्पादन, दोहन, उपयोग तथा विक्रय संबंधी अधिकार प्रदान किया जाता है। आज विभिन्न उत्पादों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को उत्पादन एवं टेक्नोलॉजी तैयार करने का अधिकार दिया जाता है जिसके द्वारा वे अपनी तकनीक एवं उत्पाद का उपयोग करते हैं यह कंपनियां बाजार में अपना प्रतिद्वंदी रोकने के लिए पेटेंट का सहारा लेती है। पेटेंट अधिकार के कारण एक कंपनियां अत्यधिक लाभ कमाते हैं तथा उनकी तकनीक का उपयोग करने वाले से बड़ी रायल्टी वसूलती है। बहुत सी कंपनियां अनाधिकृत बायोपेटेंट भी करवा लेती हैं जिसके कारण विकासशील देशों को अत्यधिक हानि होती है इसी कारण आज विश्व में जैव– पाइरेसी एवं बायोपेटेंट के विरुद्ध संघर्ष की स्थिति आ गई है क्योंकि जब संसाधन के प्रमुख या धारक तथा किसानों एवं स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है भारत में पाई जाने वाली जैव विविधता के कारण यहां जेब संसाधनों की प्रचुरता है अनेक कंपनियां वनों से इनका दोहन करती है परंतु स्थानीय वनवासी लोग इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं।
आज जैविक संसाधनों जैसे– जीन (DNA), पौधे एवं जंतुओं एवं उनके उत्पादों के बायोपेटेंटिंग के विरुद्ध संपूर्ण विश्व में विरोध के स्वर उभरने लगे हैं किसान एवं स्थानीय निवासी विभिन्न धार्मिक समुदाय, संसद, पर्यावरण, NGO (गैर सरकारी संगठन) जैविक संसाधनों के विरोध में खड़े हो गए हैं विश्व के विकसित देशों द्वारा लादे गए एक तरफा कटिंग शर्तों के कारण विकसित तथा विकासशील देशों के बीच अक्सर पेटेंट अधिकार को लेकर विवाद पैदा होता है जिनका समाधान आपसी बातचीत से निपटाया जाता है।
बायोपाइरेसी क्या है संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?
उत्तर:–
बायोपाइरेसी (Biopyracy):– विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में विशेष प्रकार की जैव विविधता पाई जाती है जैव विविधता में असंख्य जीव शामिल होते हैं प्रत्येक जीव में अनुवांशिक विशेष्टता के कारण विशिष्ट गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार से मानव समाज के लिए लाभकारी होते हैं। आज विश्व में बहुत से ऐसे संगठन एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियां आ गई है, जो कि किसी देश विशेष में पाए जाने वाले जैविक संसाधनों का बिना किसी अधिकार के दोहन कर रही है इस प्रकार के जैविक संसाधनों के अनाधिकार दोहन को बायोपाइरेसी कहते हैं। वास्तव में जैवपाइरेसी जैविक संसाधनों का अनाधिकृत उपयोग है इसके अंतर्गत बिना किसी सूचना के जैविक संसाधनों या सैंपल का संग्रह किया जाता है तथा बाद में उसका उपयोग उत्पादों को व्यवसायिक स्तर पर तैयार करने में किया जाता है।
आज बहुत तेज जैविक संसाधन बायोपाइरेसी के अंतर्गत आ चुके हैं। इसके अंतर्गत पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव तथा अनुवांशिक पदार्थ आते हैं। विश्व के विकसित देश अपने ज्ञान का उपयोग विकासशील देशों के जैविक संसाधनों से लाभ प्राप्त करने के लिए कर रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन संसाधनों का उपयोग करके बहुत बड़ा लाभ अर्जित करते हैं, परंतु वे स्थानीय समुदाय को इसका लाभ देने के बजाय उन्हें अपने उत्पादों को अत्यधिक कीमत पर बेचते हैं अतः ऐसी कंपनियों पर नियंत्रण रखना आवश्यक हो गया है भारत सरकार द्वारा जैविक संसाधनों के अनाधिकृत दोहन पर नियंत्रण रखने के लिए GATY ( जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एण्ड ट्रेड) पर हस्ताक्षर किया गया है।
बायोपेटेन्ट क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
उत्तर:–
बायोपेटेन्ट(Biopatent):– प्राचीन काल में मानव के उपयोग में आने वाली वस्तुओं का व्यावसायीकरण कम स्तर पर था आधुनिकता एवं औद्योगिक विकास के साथ-साथ व्यावसायीकरण का दायरा बढ़ता जा रहा है। जैविक संस्थान भी इससे अछूते नहीं है आज विश्व की बहुराष्ट्रीय कंपनियां बायोपाइरेसी के द्वारा जैविक संसाधनों का दुरुपयोग कर रही है, जिसके कारण खोजकर्ताओं को उनके अनुसंधान कार्य का लाभ नहीं मिल पाता है। इसे रोकने के लिए ही बायोपेटेंट प्रारंभ किया गया है इसके अंतर्गत अन्वेषण का एक विशिष्ट समय तक लाभ दिलाने, उनके द्वारा उत्पादित सामग्री के उत्पादन, दोहन, उपयोग तथा विक्रय संबंधी अधिकार प्रदान किया जाता है। आज विभिन्न उत्पादों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को उत्पादन एवं टेक्नोलॉजी तैयार करने का अधिकार दिया जाता है जिसके द्वारा वे अपनी तकनीक एवं उत्पाद का उपयोग करते हैं यह कंपनियां बाजार में अपना प्रतिद्वंदी रोकने के लिए पेटेंट का सहारा लेती है। पेटेंट अधिकार के कारण एक कंपनियां अत्यधिक लाभ कमाते हैं तथा उनकी तकनीक का उपयोग करने वाले से बड़ी रायल्टी वसूलती है। बहुत सी कंपनियां अनाधिकृत बायोपेटेंट भी करवा लेती हैं जिसके कारण विकासशील देशों को अत्यधिक हानि होती है इसी कारण आज विश्व में जैव– पाइरेसी एवं बायोपेटेंट के विरुद्ध संघर्ष की स्थिति आ गई है क्योंकि जब संसाधन के प्रमुख या धारक तथा किसानों एवं स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है भारत में पाई जाने वाली जैव विविधता के कारण यहां जेब संसाधनों की प्रचुरता है अनेक कंपनियां वनों से इनका दोहन करती है परंतु स्थानीय वनवासी लोग इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं।
आज जैविक संसाधनों जैसे– जीन (DNA), पौधे एवं जंतुओं एवं उनके उत्पादों के बायोपेटेंटिंग के विरुद्ध संपूर्ण विश्व में विरोध के स्वर उभरने लगे हैं किसान एवं स्थानीय निवासी विभिन्न धार्मिक समुदाय, संसद, पर्यावरण, NGO (गैर सरकारी संगठन) जैविक संसाधनों के विरोध में खड़े हो गए हैं विश्व के विकसित देशों द्वारा लादे गए एक तरफा कटिंग शर्तों के कारण विकसित तथा विकासशील देशों के बीच अक्सर पेटेंट अधिकार को लेकर विवाद पैदा होता है जिनका समाधान आपसी बातचीत से निपटाया जाता है।