कायिक प्रवर्धन क्या है? इसके लाभ और हानियाँ लिखिए/What is vegetative propagation? Write its advantages and disadvantages
कायिक प्रवर्धन या वर्धी प्रवर्धन क्या है? इसके लाभ और हानियाँ लिखिए।
कायिक प्रवर्धन या वर्धी प्रवर्धन(Vegetative Propagation):– वह प्रजनन जिसमें पौधे लैंगिक प्रजननांगों को छोड़कर पादप शरीर के अन्य भाग एक प्रवर्धन की भांति कार्य करते हैं तथा विभाजित होकर एक नए पौधे को जन्म देते हैं उसेकायिक प्रवर्धन या वर्धी प्रवर्धन कहते हैं।
कायिक प्रवर्धन के लाभ (Advantages of Vegetative Propagation):–
(1). बीजों की अपेक्षा यह विधि आसान, कम मूल्य की एवं तेजी से गुणन कराने वाली होती है। उदाहरण– लिली के पौधों को बीजों के द्वारा गुणन करने के लिए 5 वर्षों से अधिक समय लगता है जबकि बल्ब के द्वारा यह एक से 2 वर्षों में ही प्रवर्धन करने लगते हैं।
(2). जो पौधे जीवित बीज उत्पादित नहीं कर पाते उनके लिए तो गुणन करने की यह एक महत्वपूर्ण विधि है उदाहरण– केला, अनानास, बीज रहित अंगूर आदि।
(3). वर्धी प्रजनन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है पौधों में ऐच्छिक लक्षणों को बनाए रखने में सहायता करना, क्योंकि बीजों से उत्पादित पौधों में अनुवांशिक पुनर्संयोजन के लक्षणों की स्थिरता नहीं बनी रहती है।
(4). कुछ चुने हुए किस्मों को बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न किया जा सकता है।
(5). इस विधि द्वारा ऐच्छिक गुणों को अनुरक्षित किया जा सकता है।
(6). इस विधि द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले पुष्पों एवं फलों का उत्पादन किया जाता है।
(7). सूक्ष्म प्रसारण द्वारा अत्यंत अल्प अवधि में रोग रहित पौधों का प्रवर्धन किया जाता है।
(8). यह विधि उन पौधों के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है जिनके तने दुर्बल होते हैं।
(9). इस विधि द्वारा आनुवांशिक रूप से समान समष्टि का उत्पादन किया जाता है।
(10). इस विधि द्वारा उत्पन्न नए पौधों की उत्तरजीविता काफी अधिक होती है.
कायिक प्रवर्धन या वर्धी प्रवर्धन की हानियाँ(Disadvantage of Vegetative Propagation):–
(1). बार-बार वर्धी प्रजनन के कारण संत अंखियों के आज में कमी आती जाती है तथा पौधों में रोगों के संक्रमण की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं।
(2). इस विधि के द्वारा अच्छे एवं नए लक्षण उत्पन्न करना संभव नहीं होता है।
(3). यदि रोग युक्त पौधों का उपयोग वर्धी प्रजनन में किया जाता है तो उस से रोग ग्रस्त संततियाँ उत्पन्न होती हैं तथा रोगों के प्रसार में वृद्धि हो जाती है।
(4). इस प्रजनन के द्वारा विभिन्नता उत्पन्न करना संभव नहीं है अतः इन पौधों में नए पर्यावरण के प्रति अनुकूलन की क्षमता अत्यंत कम होती है।
व्दिखण्डन और बहुखण्डन किसे कहते हैं? व्दिखण्डन और बहुखण्डन में अंतर लिखिए
उत्तर:–
व्दिखण्डन (Binary fission):– इस विधि में विभाजित होने वाला जीव या कोशिका मध्य भाग में एक खाँच बनने के कारण दो भागों में विभाजित हो जाती है। प्रत्येक कोशिका से नया जीव बन जाता है इस विधि द्वारा विभाजित होने वाली जीवो की मृत्यु विरल ही होती है। अतः यह लगभग अमर होते हैं।
बहुखण्डन(Multiple binary fission):– इस प्रकार के अलैंगिक प्रजनन में जीव के शरीर में उपस्थित नाभिक लगातार कई बार विभाजित होकर अनेक पुत्री नाभिक बना लेता है इसके पश्चात प्रत्येक नाभिक के चारों ओर कोशिका द्रव जमा हो जाता है इस प्रकार जनक कोशिका अनेक सूक्ष्म पुत्री कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है।
प्रश्न :- व्दिखण्डन और बहुखण्डन में 5 अंतर लिखिए।
उत्तर:- व्दिखण्डन और बहुखण्डन में 5 अंतर निम्नलिखित हैं-