प्लाज्मिड्स क्या है? इसके प्रकार लिखिए/plaajmids kya hai? isake prakaar likhie
प्लाज्मिड्स क्या है? इसके प्रकार लिखिए/What is plasmids? write its types
प्रश्न :- प्लाज्मिड्स क्या है? इसके प्रकार लिखिए।
उत्तर :- प्लाज्मिड्स परिभाषा :- प्लाज्मिड्स जीवाणु कोशिका में पाए जाने वाले अतिरिक्त गुणसूत्री स्वयं व्दिगुणन करने वाले व्दिरज्जुकी बन्द व वृत्ताकार DNA अणु होते हैं। इनकी माप 1×106 डाल्टन से कम तथा 200×106 डाल्टन से अधिक नहीं होती है प्रति कोशिका इनकी संख्या 10-20 तक होती है।
प्लाज्मिड दो प्रकार के होते हैं-
1. एक प्रतिलिपि प्लाज्मिड्स
2. बहु प्रतिलिपि प्लाज्मिड्स
जीवाणु प्लाज्मिड तीन प्रकार के होते हैं-
(1). F- प्लाज्मिड :- ये संयुग्मन के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
(2).R- प्लाज्मिड :- यह प्रतिजैविकों के प्रतिरोधी जीन्स धारण करते हैं।
(3).Col- प्लाज्मिड :- इस प्लाज्मिड्स पर कोलिसिन के कारक होते हैं। सर्वप्रथम प्राप्त प्लाज्मिड्स pBR322 था।
प्रश्न :- प्लाज्मिड DNA और गुणसूत्रीय DNAमें अंतर लिखिए?
उत्तर :- प्लाज्मिड DNA और गुणसूत्रीय DNAमें अंतर निम्नलिखित हैं–
Difference between plasmid DNA and chromosomal DNA
प्रश्न :- HIV क्या है? AIDS की रोकथाम के 7 उपाय लिखिए।
उत्तर:- HIV - इसका पूरा नाम Human Immunity Deficiency Virus है यह एक रेट्रो(Retro) श्रेणी का वायरस(Virus) है। जिसके संक्रमण से प्रतिरक्षा क्षमता समाप्त हो जाती है और AIDS(एड्स) जैसी भयानक खतरनाक बीमारी उत्पन्न होती है।
AIDS - इसका पूरा नाम "Acquired Immuno Deficiency Syndrome" है।
HIV - Virus की संरचना में 3 भाग होते हैं-
(1) कोर - यह केंद्रीय भाग जो RNA व कुछ प्रोटीन से मिलकर बना है
(2) कैप्सिड - यह मध्य भाग है जो केंद्रीय भाग के चारों ओर प्रोटीन का बना होता है।
(3) लाइपो प्रोटीन खोल - यह लाइपो प्रोटीन का बना खोल सबसे बाहर का भाग होता है।
एड्स (AIDS) की रोकथाम के उपाय:–एड्स की रोकथाम उपाय निम्नलिखित हैं-
1.संक्रमित सुई का उपयोग नहीं करना चाहिए।
2. संक्रमित ब्लेड का उपयोग नहीं करना चाहिए।
3. प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक ही व्यक्ति से लैंगिक संपर्क स्थापित करना चाहिए।
4 संक्रमित व्यक्ति का रक्त किसी अन्य व्यक्ति को ना दिया जाए।
5. सुरक्षित यौन संबंध स्थापित हो।
6. रोगजनित माँ का दूध बच्चे को न दिया जाए।
7. संभोग के दौरान कंडोम का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न :- प्रतिजन क्या है? इसके समान लक्षण लिखिए।
उत्तर- प्रतिजन की परिभाषा:- कोई भी पदार्थ जो प्रतिरक्षा तंत्र को प्रतिरक्षियों(Antibodies) के उत्पादन हेतु प्रेरित करता है प्रतिजन कहलाता है।
प्रतिजन के सामान्य लक्षण:- प्रतिजन के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
(1) उसका विजातीय होना आवश्यक है।
(2) अधिक अणुभार वाले प्रतिजन अधिक सक्रिय रहते हैं।
(3) रासायनिक संगठन एवं विषमांगता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
एंटीजेन और एंटीबॉडी में अंतर
प्रश्न :- PCR क्या है? इसका महत्व लिखिए|
उत्तर :- PCR :- इसका पूरा नाम पॉलीमरेज चेन रिऐक्शन( पॉलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया) हैं। इसके द्वारा जीवों से पृथक(isolated) डीएनए खंडों(DNA fragments) कि कई प्रतिलिपियाँ(Copies) प्राप्त की जाती हैं।
PCR का महत्व :- PCR का महत्व निम्नलिखित है–
(1) आनुवंशिक रोगों का पता लगाने में।
(2) डीएनए की मात्रा के आवर्धन में।
(3) इसमें डीएनए की कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
(4) जीवों के जनकों की पहचान की जा सकती है।
(5) PCR का उपयोग डीएनए के अनुक्रम को ज्ञात करने में भी किया जाता है।
(6) जीनोम में बहुरूपता के अध्ययन में भी पीसीआर की आवश्यकता होती है।
(7) फॉरेंसिक विज्ञान डीएनए फिंगर प्रिंटिंग में आवश्यक होती है।
PCR के उपयोग:– PCR के उपयोग निम्नलिखित हैं:–
(1).रोगाणुओं की पहचान में।
(2).विशिष्ट उत्परिवर्तन को पहचानने में।
(3).DNA फिंगर प्रिटिंग में।
(4).पादप रोगाणुओं का पता लगाने में।
(5). DNA खंड के क्लोनिंग में।
PCR की विशेषताएँ:– पीसीआर की विशेषताएं निम्नलिखित हैं–
(1) आनुवंशिक रोगों का पता लगाने में।
(2) डीएनए की मात्रा के आवर्धन में।
(3) इसमें डीएनए की कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
(4) जीवों के जनकों की पहचान की जा सकती है।
(5) PCR का उपयोग डीएनए के अनुक्रम को ज्ञात करने में भी किया जाता है।
(6) जीनोम में बहुरूपता के अध्ययन में भी पीसीआर की आवश्यकता होती है।
(7) फॉरेंसिक विज्ञान डीएनए फिंगर प्रिंटिंग में आवश्यक होती है।
(8).रोगाणुओं की पहचान में।
(9).विशिष्ट उत्परिवर्तन को पहचानने में।
(10).DNA फिंगर प्रिटिंग में।
(11).पादप रोगाणुओं का पता लगाने में।
(12). DNA खंड के क्लोनिंग में।