वैद्युत कण संचलन किसे कहते हैं/vidyut kan sanchalan kise kahate hain
नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे टिंडल प्रभाव किसे कहते हैं?, टिंडल प्रभाव क्या होता है?, ब्राउनी गति किसे कहते हैं?, ब्राउनी गति को समझाइए।,वैद्युत कण संचलन किसे कहते हैं? क्योंकि यह परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है इसलिए आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें धन्यवाद।
वैद्युत कण संचलन किसे कहते हैं?
वैद्युत कण संचलन (Cataphoresis or Electrophoresis):–
कोलॉइडी विलयन विद्युत उदासीन होते हैं, किंतु जब किसी कोलॉइडी विलयन को एक यू-नली में लेकर उसमें प्लैटिनम इलेक्ट्रोड द्वारा विद्युत प्रवाहित की जाती है तब कुछ समय बाद कोलॉइडी कण किसी एक इलेक्ट्रोड की ओर चलने लगते हैं इससे प्रकट होता है कि कोलॉइडी कण विद्युत आवेशित होते हैं। इलेक्ट्रोड पर पहुंचकर यह अपना आवेश देकर उदासीन हो जाते हैं और अवक्षेप में परिवर्तित हो जाते हैं। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में कोलॉइडी कणों का विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड़ों की ओर अभिगमन वैद्युत कण संचालन कहलाता है। कुछ कोलॉइडी कण धन विद्युत आवेशित होते हैं, जैसे फेरिक हाइड्रोक्साइड के कोलॉइडी कण और कुछ पदार्थों के कोलॉइडी कण और विद्युत ऋण आवेशित होते हैं; जैसे धातु सल्फाइडों के कोलॉइडी कण। धन आवेशित कोलॉइडी कणों के अभिगमन को धन कण संचलन कहते हैं। इसी प्रकार ऋण आवेशित कोलॉइडी कणों के अभिगमन को ऋण कण संचालन कहते हैं। परिक्षेपण माध्यम के अणुओं पर कोलॉइडी कणों के विपरीत किंतु समान मात्रा में आवेश होता है इसलिए संपूर्ण कोलॉइडी विलयन विद्युत उदासीन होता है।
टिण्डल प्रभाव किसे कहते हैं?
टिण्डल प्रभाव (Tyndall Effect):– जब प्रकाश किसी कोलॉइडी माध्यम से होकर गुजरता है तो प्रकाश का प्रकीर्णन होता है तथा प्रकाश का मार्ग दिखाई देने लगता है। प्रकाश की इस घटना को ही टिण्डल प्रभाव कहते हैं।
जब किसी वास्तविक विलयन से तीव्र प्रकाश की किरण पुंज जाती है तो यह उसमें से गुजर जाती है किंतु हमें दिखाई नहीं पड़ती है इसका मार्ग अदृश्य रहता है और काला दिखाई पड़ता है, किंतु जब तीव्र प्रकाश की किरण पुंज को किसी लेंस के द्वारा कोलॉइडी विलयन में से प्रवाहित किया जाता है प्रताप किरण पुंज का मार्ग आपतित कारण के समकोण पर देखने से दृश्यमान हो जाता है। किरण मार्ग के दृश्यमान या प्रदीप्त होने की घटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं। इस घटना का अध्ययन सर्वप्रथम जे० टिंडल ने किया था इसलिए इसे टिंडल प्रभाव कहते हैं टिंडाल ने यह बताया कि कोलॉइडी कण प्रकाश को बिखेर देते हैं अर्थात प्रकीर्णन कर देते हैं जिसके कारण यह चमकने लगते हैं। वास्तविक विलयन के कण अतीसूक्ष्म साइज के होने के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं कर पाते हैं जिससे उनमें से प्रवाहित होने वाले प्रकाश की किरण का पथ अदृश्य रहता है। कोलॉइडी कण प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करके स्वयं दीप्त हो जाते हैं और फिर अवशोषित प्रकाश को छोटी तरंगदैर्घ्य की करणों के रूप में प्रकीर्णन करने लगते हैं। प्रकाश के प्रकीर्णन साधारण परिवर्तन से भिन्न होता है चूँकि अधिकतम प्रकीर्णन प्रकाश के मार्ग के लंबवत होता है इसलिए प्रकाश के मार्ग को समकोण पर देखने पर ही यह दृश्यमान होता है।
दृश्यता (Visibility):– कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन को पप्रायः तुम स्वयं देखते रहते हो। तुमने देखा होगा कि जब अंधेरे कमरे में किसी रोशनदार से प्रकाश आता है तब उसके मार्ग में धूल के कण तैरते हुए दिखाई पड़ते है। धूल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण प्रकाश का पथ दिखाई देता है किसी प्रकार प्रोजेक्टर से पर्दे पर पड़ने वाले प्रकाश का मार्ग भी दिखाई पड़ता है। यह दोनों ही टिंडल प्रभाव के उदाहरण हैं। टिंडल प्रभाव के द्वारा कोलॉइडी कणों की उपस्थिति का प्रदर्शन भी होता है टिंडल प्रभाव के आधार पर आर०जिगमोंदी तथा एच०सिडेनटॉफ ने अति सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया। अति सूक्ष्मदर्शी की सहायता से 50A से बड़े आकार के कणों को देखा जा सकता है। साधारण सूक्ष्मदर्शी में प्रकाश की किरणें विलयन में नीचे से प्रवेश करती है जबकि अति सूक्ष्मदर्शी में प्रकाश का तीव्र किरण पुंज विलयन में पाश्र्व (Laterally) से प्रवेश करता है इसमें आर्क लैंप से उत्सर्जित संग्राही लेंसों द्वारा संग्रहित प्रकाश की तीव्र किरण पुंज विलयन में से प्रवाहित की जाती है तथा किरण पुंज के समकोण पर रखें एक साधारण सूक्ष्मदर्शी द्वारा विलयन का परीक्षण करते हैं।
ब्राउनी गति किसे कहते हैं?
ब्राउनी गति (Brownian Movement):– कोलॉइडी विलयन का अति सूक्ष्मदर्शी से निरीक्षण करने पर ज्ञात होता है कि कोलॉइडी कण सदैव टेढ़े-मेढ़े (Zig-Zag) तरीके से सभी दिशाओं में गति करते रहते हैं इस प्रकार की गति को सबसे पहले एक अंग्रेज वनस्पति शास्त्री रॉबर्ट ब्राउन ने सन् 1827 में अति सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा था, इसलिए इसे ब्राउनी गति कहते हैं।
इस गति का अनुभव किसी अंधेरे कमरे में एक छिद्र द्वारा आती हुई सूर्य प्रकाश की किरणों को देखने से भी किया जा सकता है। धूल के कण वायु में इधर-उधर घूमते हुए दिखाई पड़ते हैं। वीनर के अनुसार यह गति कोलॉइडी कणों के परिक्षेपण माध्यम के अंणुओं के साथ आसमान रूप से टकराने से उत्पन्न होती है। कोलॉइडी कण अपने चारों ओर के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं के साथ टकराते रहते हैं और गतिमान रहते हैं जैसे-जैसे कोलॉइडी कणों का आकार बढ़ता जाता है यह गति कम होती जाती है और निलंबन में पूर्णतया समाप्त हो जाती है।
वैद्युत कण संचलन किसे कहते हैं?
वैद्युत कण संचलन (Cataphoresis or Electrophoresis):– कोलॉइडी विलयन विद्युत उदासीन होते हैं, किंतु जब किसी कोलॉइडी विलयन को एक यू-नली में लेकर उसमें प्लैटिनम इलेक्ट्रोड द्वारा विद्युत प्रवाहित की जाती है तब कुछ समय बाद कोलॉइडी कण किसी एक इलेक्ट्रोड की ओर चलने लगते हैं इससे प्रकट होता है कि कोलॉइडी कण विद्युत आवेशित होते हैं। इलेक्ट्रोड पर पहुंचकर यह अपना आवेश देकर उदासीन हो जाते हैं और अवक्षेप में परिवर्तित हो जाते हैं। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में कोलॉइडी कणों का विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड़ों की ओर अभिगमन वैद्युत कण संचालन कहलाता है। कुछ कोलॉइडी कण धन विद्युत आवेशित होते हैं, जैसे फेरिक हाइड्रोक्साइड के कोलॉइडी कण और कुछ पदार्थों के कोलॉइडी कण और विद्युत ऋण आवेशित होते हैं; जैसे धातु सल्फाइडों के कोलॉइडी कण। धन आवेशित कोलॉइडी कणों के अभिगमन को धन कण संचलन कहते हैं। इसी प्रकार ऋण आवेशित कोलॉइडी कणों के अभिगमन को ऋण कण संचालन कहते हैं। परिक्षेपण माध्यम के अणुओं पर कोलॉइडी कणों के विपरीत किंतु समान मात्रा में आवेश होता है इसलिए संपूर्ण कोलॉइडी विलयन विद्युत उदासीन होता है।