आर्तव चक्र क्या है/Menstruation Cycle kya hai?
आर्तव चक्र क्या है ? आर्तव चक्र का नियमन कौन-से हॉर्मोन करते हैं ?
प्रश्न :- मादा प्रजनन चक्र या ऋतुस्राव चक्र(Female Reproductive Cycle or Menstruation Cycle) क्या है संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रश्न :- आर्तव चक्र किसे कहते हैं इसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :- "प्रत्येक स्त्री के प्रजनन काल (12 - 13 वर्ष की उम्र से 40 - 45 वर्ष की उम्र तक) में गर्भावस्था को छोड़कर प्रति 26 से 28 दिनों की अवधि पर गर्भाशय से रक्त तथा इसके आंतरिक दीवार कीश्लेष्म का स्त्राव होता है। यह स्त्राव 3 या 4 दिन तक चलता है इसे ऋतु स्त्राव, रजोधर्म, आर्तव या मानसिक धर्म(Menses or Menstruation Cycle) के भी कहते हैं" क्योंकि यह एक निश्चित समय अंतराल पर बार-बार होता है इस कारण ऐसी मानसिक ऋतु स्त्राव चक्र भी कहते हैं। स्त्रियों में 40 से 45 वर्ष के बाद ऋतु स्त्राव नहीं होता इस अवस्था को रजोनिवृत्ति(Menopause) कहते है। रजोनिवृत्ति के बाद गर्भधारण की क्षमता समाप्त हो जाती है तथा स्तन भी ढीले हो जाते हैं।
ऋतु स्त्राव 12 से 13 वर्ष की लड़कियों में शुरू होता है इसका शुरू होना बाल्यावस्था के अंत को व्यक्त करता है और इसके प्रारंभ होने के बाद से गर्भधारण हो सकता है। स्त्रियों में माह में केवल एक बार अंडोत्सर्ग होता है। यह अंडोत्सर्ग दोनों अंडाशयों मैं बारी- बारी से होता है। अंडोत्सर्ग के बाद अंडाणु अण्डवाहिनी में आता है जहां पर इसका निषेचन होता है। निषेचन के बाद निषेचित अंडाणु गर्भाशय में स्थापित हो जाता है निषेचन के बाद गर्भावस्था प्रारंभ हो जाती है और निषेचित अंडाणु विकसित होकर शिशु बनाता है। जब किन्हीं कारणों से अंडाणु का निषेचन नहीं हो पाता तो भी यह गर्भाशय में स्थापित होता है और कुछ दिनों बाद मर कर गर्भाशय की आंतरिक दिल्ली के साथ घाव बनाते हुए बाहर आ जाता है जिसमें से 3-4 दिनों तक रक्त स्त्राव होता रहता है।, इसे ही ऋतु स्त्राव कहते हैं ऋतु स्त्राव के बाद लगभग 9 दिन के अंदर गर्भाशय की दीवार की मरम्मत हो जाती है। अंडाणु के निषेचित हो जाने के बाद गर्भावस्था तक ऋतु स्त्राव नहीं होता। गर्भाशय की मरम्मत एस्ट्रोजन हॉर्मोन के नियंत्रण में होती है।
F.S.H. के नियंत्रण में अंडाणु निर्माण तथा अंडोत्सर्ग की क्रिया होती है रितु इतरा प्रारंभ होने के 14 दिन बाद अंडोत्सर्ग की क्रिया होती है और अंडोत्सर्ग के कुछ देर बाद ही अंडाणु अण्वाहिनी में पहुँच जाता है। और 15वें से 19 वें दिन तक ही इसमें रहता है इसी बीच अंडाणु का निषेचन हो सकता है इसके बाद यह गर्भाशय में जाकर स्थापित हो जाता है और यदि निषेचन हो गया है तब भ्रूण में विकसित होता है अन्यथा पुनः अंडोत्सर्ग के 13 से 14 दिन बाद ऋतु स्त्राव द्वारा बाहर कर दिया जाता है। ऋतु स्त्राव चक्र में होने वाली प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित हैं-
(1) 1-4वें दिन तक ऋतु( रक्त स्त्राव)।
(2)5-13 वें दिन तक अंडाशय में पुटिका तथा गर्भाशय में नई एंडोमेट्रियम का निर्माण तथा मरम्मत होती है
(3)14वें दिन अंडोत्सर्ग होता है।
(4)15 से 19 वें दिन कॉर्पस लुटियम का निर्माण तथा अण्वाहिनी में अंडाणु का निषेचन ।
(5)20 से 25 वें दिन तक निषेचित अंडाणु का गर्भाशय में स्थिर या स्थापित होना।
(6)26-28 वें दिन निषेचन न होने पर कार्पस लुटियम का नष्ट होना तथा निषेचन होने पर इसका सक्रिय होना।