प्रश्न:– रस की परिभाषा, रस के प्रकार(भेद), रस के अंग लिखिए
प्रश्न:– रस किसे कहते हैं ?
उत्तर:–किसी काव्य को पढ़ने, सुनने या देखने से पाठक या दर्शक को जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं।
प्रश्न:– रस की निष्पत्ति कैसे होती है ?
अथवा
आचार्य भरत मुनि के अनुसार रस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:– सहृदय के हृदय में स्थित स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से संयोग होता है, तब रस की निष्पत्ति होती है।
आचार्य भरत मुनि के शब्दों में–– "विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगात् रस निष्पत्ति ।"
प्रश्न:– रस के कितने अंग होते हैं ? उनके नाम लिखिये। अथवा
रस के प्रमुख अंगों को लिखिए।
उत्तर:–– रस के प्रमुख चार अंग हैं -
(1) स्थायी भाव,
(2) विभाव,
(3) अनुभाव,
(4) संचारी भाव। .
प्रश्न:– स्थायी भाव किसे कहते हैं?
अथवा
स्थायी भाव किसे कहते हैं और यह कहाँ विद्यमान रहते हैं?
उत्तर:–– सहृदय के चित्त में जो भाव स्थायी रूप से सुप्तावस्था में रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहा जाता है। स्थायी भाव अपने-अपने रस के जनक होते हैं। इनकी संख्या 10 है। यह मनुष्य के चित्त में विद्यमान रहते हैं।
प्रश्न:– संचारी भाव (व्यभिचारी भाव) किसे कहते हैं ? किन्हीं चार संचारी भावों के नाम बताइए।
उत्तर:–सहृदय के चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकारों को संचारी भाव कहते हैं। काव्य मनीषियों ने इनकी संख्या 33 मानी है। कुछ संचारी भावों के नाम हैं-
(1) आलस्य,
(2) चिन्ता,
(3) शंका,
(4) ग्लानि आदि।
प्रश्न:– रस के भेद (प्रकार) बताइए। प्रत्येक रस का स्थायी भाव भी लिखिए।
उत्तर- रस के भेद (प्रकार) दस हैं। इनके नाम एवं स्थायी भाव निम्न हैं––
प्रश्न:––विभाव किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- सुसुप्त स्थायी भाव को जगाने वाले तथा उद्दीप्त करने वाले कारण विभाव कहलाते हैं।
विभाव दो प्रकार के होते हैं–
(1). आलंबन
(2). उद्दीपन
प्रश्न :- अनुभाव और विभाव में तीन अन्तर लिखिए?
उत्तर– अनुभाव और विभाव में तीन अंतर निम्नलिखित हैं-
प्रश्न:–– स्थायी भाव और संचारी भाव में अंतर बताइए।
उत्तर:– स्थाई भाव और संचारी भाव में अंतर निम्नलिखित है–
प्रश्न :- श्रृंगार रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर– श्रृंगार रस की परिभाषा:––" सहृदय के हृदय में स्थित रति नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहाँ श्रृंगार रस उपस्थित होता है।
उदाहरण:–
" हे खग- मृग हे मधुकर श्रेनी।
तुम देखी सीता मृगनैनी।।"
प्रश्न :- वीर रस की परिभाषा और उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर– वीर रस की परिभाषा:– "सहृदय के हृदय में स्थित उत्साह नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है तब वहाँ वीर रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण:–
" बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।"
प्रश्न :- करुण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर– करुण रस की परिभाषा:––" सहृदय के हृदय में स्थित ' शोक ' नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहाँ करुण रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण:––
" हे प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है।
दुख जलनिधि में डूबी का सहारा कहाँ है।
लख-मुख जिसका देख लो आज जी सकी हूँ
वह हृदय हमारा नैन तारा कहाँ है।।"
प्रश्न :- रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर– रौद्र रस की परिभाषा:–– " सहृदय के हृदय में स्थित क्रोध नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहाँ रौद्र रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण–
" श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे।"
प्रश्न :- वीभत्स रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर:– वीभत्स रस की परिभाषा:–– " सहृदय के हृदय में स्थित 'जुगुप्सा' नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहां वीभत्स रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण:––
" सिर पर वैठयों काग, आखत दोऊ खात निकारत।
जीभहि खीचत सियार अति आनंद उर धारत।।"
प्रश्न :- भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर:– भयानक रस की परिभाषा:–– " सहृदय के हृदय में स्थित भय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है तब वहाँ भयानक रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण:––
" एक ओर अजगराहि लखि, एक ओर मृगराय।
विकल बटोही बीचहि, परयों मूरछा खाय।।"
प्रश्न :- शांत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर– शांत रस की परिभाषा:–– " सहृदय के ह्रदय में स्थित 'निर्वेद ' नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहाँ शांत रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण:––
" चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय।
दुई पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।।"
प्रश्न :- अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर– अद्भुत रस की परिभाषा:–– " सहृदय के हृदय में स्थित विस्मय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है तब वहां अद्भुत रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण–
" हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
लंका सारी जल गई गये निशाचर भाग।।"
प्रश्न :- वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
उत्तर– वात्सल्य रस की परिभाषा:–– " सहृदय के हृदय में स्थित वत्सल नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहाँ वात्सल रस उपस्थित होता है।"
उदाहरण–– " जसौदा हरि पालनै झुलावै।