व्यसन की परिभाषा, कारण और हानिकारक प्रभाव
प्रश्न :- व्यसन क्या है?व्यसन के कारण लिखिए।
अथवा
प्रश्न :- आपके विचार से किशोरों को एल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिए क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:-
व्यसन की परिभाषा:- जब कुछ लोग तनाव से बचने अथवा जीवन की समस्याओं को हल करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं तब वे बिना चिकित्सीय परामर्श के नार्कोटिक औषधियाँ, शराब, धूम्रपान का सेवन करने लगते हैं जिससे इन्हें आराम और शांति प्राप्त होती है एक स्थिति में वे इन पदार्थों के आदी हो जाते हैं अचानक इन पदार्थों का सेवन न करने से कई प्रकार के जटिल कुप्रभावों को देखा जा सकता है इसे व्यसन कहते हैं।
व्यसन के कारण:- व्यसन के कारण निम्नलिखित हैं-
(1) उत्सुकता:- अत्यधिक प्रचार इन पदार्थों को जानने की इच्छा पैदा करता है जिसके कारण व्यक्ति इनका सेवन करने लगता है।
(2) उत्तेजना एवं अपूर्व आनंद की प्राप्ति:- कुछ मादक द्रव्य, उत्तेजक प्रकृति के होते हैं । कुछ युवा शारीरिक क्षमता अद्भुत( अचानक ) आनंद की प्राप्ति के लिए इन पदार्थों का सेवन करते हैं जिससे वास्तविक शारीरिक और मानसिक दुर्वलता आती है।
(3) अधिक कार्य क्षमता की इच्छा:-
ऐसी भ्रान्ति है कि मादक पदार्थों के सेवन से व्यक्ति में एकाएक स्फूर्ति आती है किंतु वास्तविकता यह है कि शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को कम करके थकान बढ़ाते हैं।
(4) कल्पना लोक की सैर:- कुछ मादक पदार्थ लेने से व्यक्ति को क्षणिक आनंद ,नई सौन्दर्य एवं आनंद का अनुभव होता है इन क्षणिक सुखों की प्राप्ति के लिए व्यक्ति नशीली दवा तथा पदार्थों का सेवन करते हैं जिनकी देखा देखी परिवार के छोटे सदस्य भी नशीले पदार्थ का सेवन करने लगते हैं।
(5) सामाजिक दबाव:- कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी समारोह में नशीली दवाओं के सेवन हेतु किसी नये व्यक्ति पर बार-बार दबाव डाला जाता है इस दबाव के कारण कमजोर इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति इन दवाओं का सेवन कर लेते हैं और आनंद की अनुभूति होने पर वे बार-बार इनका सेवन प्रारंभ कर देते हैं।
(6) निराशा एवं चिंता से छुटकारा पाना:- मादक पदार्थ कुछ समय के लिए व्यक्ति को वास्तविक परिस्थिति से दूर कर देते हैं इस कारण वह अपने दुख, चिंता एवं निराशाओं को अस्थाई रूप से भुला देने के लिए इन पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
(7) पारिवारिक इतिहास:- अनेक परिवारों में बड़े सदस्य खुलेआम नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं जिनकी देखा- देखी परिवार के छोटे सदस्य भी नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
(8) दर्द से आराम:- कुछ व्यक्ति दर्द या पीडा़ से आराम एवं मुक्ति पाने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
(9) स्वर्ग लोक की सैर:- कुछ व्यक्ति नशा करने के पश्चात अपने आप को सर्वसुविधा संपन्न व्यक्ति समझने लगते हैं इस कारण वह इन नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
(10) व्यापारिक प्रचार एवं असामाजिक तत्व:- कई बार दवा कंपनियों के विज्ञापन भी नशीले पदार्थों के सेवन की ओर किशोरों तथा युवाओं को आकर्षित करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व बालक- बालिकाओं को बहला-फुसलाकर उन्हें नशीले पदार्थों का आदी बना देते हैं और बाद में उनसे गैर कानूनी कार्य करवाते हैं।
मादक द्रव्य तथा नशीले पदार्थों के प्रयोग से व्यक्ति में हीन भावना घर कर ली जाती है और वह व्यक्ति स्वयं को निःसहाय टूटा हुआ और दूसरों से हीन समझने लगता है उसमें एक अपराधबोध विकसित होने लगता है। प्रारंभ में तो वे अपनी समझ से आनंदित होता है, परंतु बाद में जब उसे वास्तविकता का ज्ञान होता है तो वह स्वयं को नशे का गुलाम पाता है ऐसे व्यक्तियों को सुधारना एक सामाजिक समस्या बन गई है।