यूरे एवं मिलर के प्रयोग का सचित्र वर्णन कीजिए/Describe the experiment of Eure and Miller
दोस्तों आज के आर्टिकल में हम जानेंगे जीवन की उत्पत्ति के लिए मिलर एवं यूरे के प्रयोग का वर्णन कीजिए? अथवा यूरे एवं मिलर के प्रयोग का वर्णन कीजिए अथवा जीवन की उत्पत्ति के जैव रासायनिकवाद के समर्थन में यूरे व मिलर के प्रायोगिक प्रमाण को लिखिए, यूरे एवं मिलर के प्रयोग का चित्र बनाइए, क्योंकि यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है परीक्षा की दृष्टि से इसलिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ना चाहिए। और चित्र के द्वारा समझ सकते हैं।
प्रश्न:- जीवन की उत्पत्ति के लिए मिलर एवं यूरे के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रश्न :- यूरे एवं मिलर के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रश्न:- जीवन की उत्पत्ति के जैव रासायनिकवाद के समर्थन में यूरे एवं मिलर प्रायोगिक प्रमाण को लिखिए।
उत्तर:- ओपेरिन तथा हेल्डेने के जीवन की उत्पत्ति संबंधी जैव रासायनिक बाद को प्रमाणित करने के लिए अनेक वैज्ञानिकों ने प्रयास किये है।मिलर तथा यूरे का प्रयोग इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । सन् 1953 में स्टैनले मिलर (Stable Miller) शिकागो विश्वविद्यालय (USA) में हेराल्ड यूरे (Herald Urey) के छात्र थे। इन्होंने प्रयोगशाला में आदि वातावरण के समान ही वातावरण तैयार करने का प्रयास किया। इनके निष्कर्षों से ओपेरिन तथा हेल्डेने का जैव रसायनवाद सही प्रमाणित हुआ।
प्रयोग :- मिलर एवं यूरे ने एक फ्लास्क में मेथेन, अमोनिया तथा हाइड्रोजन को 1:2:1 अनुपात में लिया। एक दूसरे फ्लास्क में उन्होंने जल को उबालकर जलवाष्प उत्पन्न किया। दोनों फ्लास्क एक काँच की नली से जुड़े थे। अतः जलवाष्प पहले फ्लास्क में लगाकर प्रवाहित होता रहा। गैसीय फ्लास्क में दो इलेक्ट्रोड लगे थे। इसकी सहायता से उन्होंने विद्युत स्फुलिंग(Electrical discharge) उत्पन्न किया। ये स्फुलिंग वैसे ही थे जैसे वातावरण में बिजली चमकने(Lightning) के समय उत्पन्न होता है। गैसीय मिश्रण को ठंडा करने के लिए उन्होंने संघनक अथवा कन्डेन्सर (Condenser) का उपयोग किया। यह प्रयोग लगातार एक सप्ताह तक चलने दिया गया। एक सप्ताह बाद उन्होंने प्रयोग को बंद करके फ्लास्क में उपस्थित पदार्थ का रासायनिक विश्लेषण किया। उन्होंने उस में कुछ अमीनो अम्ल, जैसे- एलानिन, ग्लाइसिन तथा ग्लूटामिक अम्ल के अलावा कुछ अन्य कार्बनिक पदार्थ जैसे- शर्करा वसीय अम्ल तथा अन्य पदार्थ प्राप्त किया। कुछ अन्य पदार्थ जैसे- यूरिया, हाइड्रोजन सायनाइड ,लैक्टिक एसिड तथा एसिटिक एसिड आदि की अल्प मात्रा में उपस्थित थे। मिलर ने पुनः अपने प्रयोग को दोहराया। गैसों के मिश्रण को कई दिनों तक गर्म जलवाष्प के साथ प्रवाहित किया। परंतु इस बार उन्होंने विद्युत स्फुलिंग उत्पन्न नहीं किया। प्राप्त पदार्थ के विश्लेषण करने पर उन्होंने देखा कि इसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अपर्याप्त थी।
मिलर द्वारा पहले प्रयोग में प्राप्त सभी कार्बनिक पदार्थ जीवित कोशिकाओं में जीवद्रव के घटक होते हैं। इस आधार पर मिलर तथा यूरे ने निष्कर्ष निकाला कि प्राचीन पृथ्वी पर वातावरण जीवन की उत्पत्ति के अनुकूल था। इस कारण उस समय जीवन की उत्पत्ति रसायनवाद के अनुरूप हुई। इस प्रकार इन दोनों वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग के आधार पर ओपेरिन तथा हेल्डेने के जैव रासायनिकवाद का समर्थन किया।
यूरे एवं मिलर के प्रयोग का परिणाम:– पहले दिन प्रयोग का मिश्रण पूरी तरह से साफ था दिनों के दौरान मिश्रण ने एक लाल रंग बदलना शुरू कर दिया प्रयोग के अंत में इस तरह ने एक गहरे लाल रंग का रंग लिया और लगभग भूरा पन बढ़ गया प्रयोग ने अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त किया और जटिल कार्बनिक अणु आदिम वातावरण मीथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन और जल वाष्प के काल्पनिक घटकों से उत्पन्न हुए थे।
शोधकर्ता अमीनो एसिड के निशान की पहचान करने में सक्षम थे जैसे कि ग्लाइसिन,ऐलेनिन, एसपारटिक एसिड और अमीनो-एन-ब्यूटिरिक एसिड जो प्रोटीन के मुख्य घटक हैं
जैविक अणुओं की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए इस प्रयोग की सफलता ने अन्य शोधकर्ताओं को योगदान दिया मिलर और यूरे प्रोटोकॉल में संशोधन करके हम बीस ज्ञात अमीनो एसिड को फिर से बनाने में कामयाब रहे।
यूरे एवं मिलर के प्रयोग का निष्कर्ष:– इस प्रायोगिक डिजाइन के मुख्य निष्कर्ष को निम्नलिखित कथन के साथ संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है जटिल कार्बनिक अणु अकार्बनिक अणुओं से अपनी उत्पत्ति कर सकते हैं, यदि वे उच्च वोल्टेज, पराबैगनी विकिरण और निम्न जैसे मुख्य आदिम वातावरण की स्थितियों के संपर्क में है
ऑक्सीजन सामग्री,
इसके अलावा कुछ अकार्बनिक अणु पाए गए जो कुछ अमीनो एसिड और न्यूक्लियोटाइड के गठन के लिए आदर्श उम्मीदवार हैं।
प्रयोग हमें यह देखने की अनुमति देता है कि जीवित जीवो के ब्लॉक का निर्माण कैसे हो सकता है यह मानते हुए की आदिम वातावरण वर्णित निष्कर्षों के अनुरूप है। यह बहुत संभावना है कि जीवन की उपस्थिति से पहले ही दुनिया में मिलर द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की तुलना में अधिक संख्या और जटिल थे।
हालांकि इस तरह के सरल अणुओं के आधार पर जीवन की उत्पत्ति का प्रस्ताव करना असंभव है मिलर एक सूचना और सरल प्रयोग के साथ इसे साबित कर सकता है।