विद्युत रासायनिक श्रेणी परिभाषा, विशेषताएँ, उपयोग और गुण /Electrochemical Category Definition, Characteristics, Uses and Properties
vidyut raasaayanik shrenee kya hai isakee visheshataen
प्रश्न:- विद्युत रासायनिक श्रेणी क्या है इसकी प्रमुख विशेषताएं लिखते हुए उपयोग लिखिए।
उत्तर:- विद्युत रासायनिक श्रेणी की परिभाषा:- "तत्वों को उनके बढ़ते हुए मानक इलेक्ट्रोड विभव या मानक अपचयन विभव के क्रम में व्यवस्थित करने पर एक श्रेणी प्राप्त होती है जिसे विद्युत रासायनिक श्रेणी कहते हैं जिसे सक्रियता श्रेणी भी कहते हैं।"
विद्युत रासायनिक श्रेणी विशेषताएँ:- विद्युत रासायनिक श्रेणी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) विद्युत रासायनिक श्रेणी में धातुओं की क्रियाशीलता ऊपर से नीचे की ओर जाने पर घटती है जबकि अधातुओं की क्रियाशीलता ऊपर से नीचे की ओर जाने पर बढ़ती है।
(2) किसी तत्व या आयन के लिए मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान जितना अधिक ऋणात्मक होता है तत्व उतनी ही आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग देता है अर्थात तत्व उतना ही अधिक प्रबल अपचायक होता है।
(3) किसी तत्व या आयन के लिए मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान जितना अधिक धनात्मक होता है तत्व उतनी ही आसानी से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है। अर्थात उतना ही प्रबल ऑक्सीकारक होता है। फ्लोओरीन सबसे प्रबल ऑक्सीकारक तत्व है।
(4) श्रेणी में ऊपर आने वाली धातु नीचे आने वाली धातु को उसके लवण विलयन में से विस्थापित कर देती है।
(5) हाइड्रोजन से अधिक प्रबल अपचायक तत्वों को हाइड्रोजन से ऊपर जबकि इससे दुर्बल अपचायक तत्वों को हाइड्रोजन से नीचे रखा गया है ।
(6) हाइड्रोजन से पहले आने वाले तत्व अम्ल में से हाइड्रोजन विस्थापित कर देते हैं।
रासायनिक श्रेणी के उपयोग या अनुप्रयोग:- विद्युत रासायनिक श्रेणी के उपयोग या अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-
(1) ऑक्सीकारक और अपचायक क्षमता ज्ञात करने में:- किसी तत्व या आयन के लिए मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान जितना अधिक ऋणात्मक होता है वह तत्व उतना ही प्रबल अपचायक होता है इसके विपरीत मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान इतना अधिक धनात्मक होता है तत्व या आयन उतना ही प्रबल ऑक्सीकारक होता है।
(2) एनोड और कैथोड का अनुमान लगाने में :- किसी सेल में उपस्थित इलेक्ट्रोनों के मानक इलेक्ट्रोड विभव के मानों के आधार पर एनोड और कैथोड का निर्धारण किया जा सकता है विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऊपर आने वाली धातु एनोड का जबकि नीचे आने वाली धातु कैथोड का कार्य करती हैं।
(3) किसी सेल अभिक्रिया की संभावना ज्ञात करने में:- किसी सेल के लिए सेल विभव का मान ज्ञात करके यह निर्धारित किया जा सकता है कि कोई सेल अभिक्रिया संपन्न होगी या नहीं यदि सेल विभव का मान ऋणात्मक होता है तो सेल अभिक्रिया संपन्न होगी, किंतु यदि सेल विभव का मान ऋणात्मक होगा तो सेल क्रिया संपन्न नहीं होगी।
(4) किसी सेल का emf ज्ञात करना:- किसी सेल के लिए दो इलेक्ट्रोडों में से जिसके लिए E0 का मान अधिक ऋणात्मक होता है उस पर ऑक्सीकरण की क्रिया होती है और वह एनोड का कार्य करता है इसके विपरीत दूसरा इलेक्ट्रोड कैथोड का कार्य करता है विद्युत रासायनिक श्रेणी से दोनों इलेक्ट्रोडों के लिए E0 के मान ज्ञात करके E0 सेल की गणना की जा सकती है।
E0सेल = E0 कैथोड - E0 एनोड
(5) धातुओं द्वारा अम्ल से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करने की प्रवृत्ति ज्ञात करना :- विद्युत रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर आने वाली धातुएँ अम्ल में से हाइड्रोजन मुक्त करती हैं।
(1). विद्युत रासायनिक श्रेणी की सहायता से धातुओं की क्रियाशीलता ज्ञात की जा सकती है।
(2). इस श्रेणी की सहायता से धातुओं की अपचायक क्षमता की तुलना की जा सकती है।
(3). इस श्रेणी की सहायता से धातुओं की ऑक्सीकृत प्रवत्ति ज्ञात कर सकते हैं।
विद्युत रासायनिक श्रेणी के गुण:–
(1). वह धातुएं जो हाइड्रोजन से दुर्बल अपचायक हैं उनका मानक इलेक्ट्रोड विभव धनात्मक होता है।
(2). वह धातुएं जो हाइड्रोजन से प्रबल अपचायक है उनका मानक इलेक्ट्रोड विभव ऋणात्मक होता है।
(3).जिन धातुओं की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है उनका मानक अपचयन विभव धनात्मक होता है।
(4).श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन त्यागने का गुण कम होता जाता है।