प्लाज्मोडियम का जीवन चक्र को सचित्र समझाइए/plasmodium ka Jivan Chakra ko Chitra sahit samjhaie
प्रिय छात्रों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे मलेरिया क्या होता है। मलेरिया कौन से रोग जनन के कारण होता है। मलेरिया कितने प्रकार का होता है। मलेरिया के लक्षण, मलेरिया की रोकथाम एवं उसका उपचार किस प्रकार करते हैं। प्लाज्मोडियम का जीवन चक्र का सचित्र वर्णन, जानेंगे इसलिए इस पोस्ट को आप पूरा जरूर पढ़ें धन्यवाद
मलेरिया रोग किसे कहते हैं?
मलेरिया एक प्रोटोजोअन रोग है जो कि मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से शरीर में प्लाज्मोडियम के संक्रमण के कारण होता है। इस रोग के बारे में रोनाल्ड रॉस (Ronald Ross,1897) ने बताया था। मलेरिया संसार के प्रत्येक हिस्से में पाई जाने वाली संक्रमण के बीमारी है लेकिन इसका सबसे अधिक प्रकोप भूमध्य एवं गर्म प्रदेशों में होता है। भारत में यह बीमारी अगस्त से अक्टूबर तक अधिक होती है आजकल इस बीमारी का लगभग निर्मूलन हो गया है, लेकिन आज से 25 से 30 वर्ष पूर्व हमारे देश में प्रतिवर्ष इस रोग से हजारों लोग मरते थे।
रोगजनक (Pathogen):– मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम नामक प्रोटोजोअन परजीवी के संक्रमण के कारण होता है। बुखार की प्रकृति के आधार पर मलेरिया रोग चार प्रकार का होता है–
मलेरिया रोग के प्रकार:–
(1). बिनाइन या टर्शिंन मलेरिया (Benign or Tertian Malaria):– यह मलेरिया प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (Plasmodium vivax) के संक्रमण से होता है इस रोग में बुखार प्रत्येक दो दिन बाद अर्थात 24 घंटे पश्चात आता है।
(2). चतुर्थक मलेरिया (Quartan Malaria):– यह मलेरिया प्लाज्मोडियम मलेरी (Plasmodium malariae) के संक्रमण से होता है इस रोग में बुखार प्रत्येक तीसरे दिन अर्थात 72 घंटे बाद आता है।
(3). मिड-टर्शियन मलेरिया (Mid-Tertian Malaria):– यह मलेरिया प्लाज्मोडियम ओवेली (Plasmodium ovale) के कारण से होता है इस रोग में बुखार प्रत्येक 48 घंटे बाद आता है।
(4). मैलिग्नेंट टर्शियन मलेरिया (Malignant Tertian Malaria):– यह रोग प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम के संक्रमण से होता है इस रोग में बुखार प्रत्येक तीसरे दिन आता है। यह मलेरिया अत्यधिक घातक होता है।
मलेरिया रोग का वाहक (Carrier of malaria disease):– मलेरिया रोग के परजीवी का वाहक मादा एनोफिलीज मच्छर होती है जिसके काटने से मलेरिया परजीवी व्यक्ति के रुधिर में पहुंच जाते हैं।
प्लाज्मोडियम का जीवन चक्र को सचित्र समझाइए?
मलेरिया एक प्रोटोजोअन रोग है। जो कि मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से शरीर में प्लाज्मोडियम के संक्रमण के कारण होता है इस रोग में जब मादा एनाफिप्लीज मनुष्य को काटती है और उसके रक्त को चूसती है तब रक्त के साथ प्लाज्मोडियम हमारे यकृत कोशिकाओं में पहुंच जाते हैं और वहां से लाल रक्त कणिकाओं में जाकर अलैंगिक प्रजनन से अपनी संख्या बढ़कर यकृत एवं RBC को संक्रमित करते हैं। जिससे मनुष्य को तेज बुखार आता है यही चक्र बार-बार यकृत एवं RBC मैं चलता रहता है। फलस्वरुप, RBC का विनाश होता है और मनुष्य रक्तहीनता का शिकार हो जाता है एवं कभी-कभी मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है मलेरिया के रोगाणु एक प्रकार का विषैला पदार्थ हीमोजोइन पैदा करते हैं। जिसके कारण रोगी को बुखार आता है। इन रोगाणुओं से स्वयं मच्छर को हानि नहीं होती परंतु उसके आमाशय में यह रोगाणु लैंगिक प्रजनन के द्वारा तेजी से बढ़ते हैं जब यह मच्छर किसी निरोगी मनुष्य को काटता है तो उसके शरीर में अपनी लार के साथ हजारों प्लाज्मोडियम को प्रवेश कर देता है इस प्रकार मच्छर इस रोग का पोषक वाहक होता है।
लक्षण (Symptoms):–
(1). पहले सर्दी लगती है तत्पश्चात 103 डिग्री से 104 डिग्री फारेनहाइट तक बुखार हो जाता है यह बुखार एक से तीन घंटे तक रहता है और फिर रोगी को पसीना आता है तथा ज्वर उतर जाता है।
(2). मलेरिया के ज्वर का आक्रमण प्रतिदिन तीसरे दिन या दो दिन छोड़कर होता है।
(3). सारे शरीर में दर्द और अकड़न रहती है।
(4). लीवर तथा प्लीहा में सूजन आ जाती है।
रोकथाम एवं उपचार (Prevention and Treatment):–
(1). इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों को नष्ट कर देना चाहिए मच्छर अपने अण्डे गंदे, स्थिर पानी में देते हैं अतः घर के आसपास के गड्ढों से पानी निकलवा कर उसमें मिट्टी भरवा देना चाहिए या गड्ढ़ों में मिट्टी का तेल छिड़कना चाहिए।
(2). घर की दीवारों पर डी.डी.टी. या फ्लिट छिड़कना चाहिए।
(3). तालाबों में छोटी-छोटी मछलियां छोड़ देनी चाहिए जिस की वे मच्छरों के अंडे एवं बच्चों को खा जाएं।
(4). प्रत्येक व्यक्ति को मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए।
(5). पशुओं के बाँधने के स्थान पर उनके मल - मूत्र की ठीक से सफाई करनी चाहिए जिससे वह इकट्ठा न होने पाए।
(6). मलेरिया होते ही इसकी सूचना नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर देनी चाहिए।
(7). मलेरिया के लक्षण दिखते ही खून की जांच करवाकर कुनैन, मेपैक्रीन, पैलूड्रीन, कैमाक्यून, क्लोरोक्वीन इत्यादि में से कोई एक दवा चिकित्सक की सलाह से लेनी चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) की सहायता से राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन योजना के अंतर्गत बुखार के शिकार प्रत्येक रोगी के रक्त की जांच की जाती है और उसे 600 मिलीग्राम क्लोरोक्वीन की एक टिकिया एक दिन तथा उसके बाद 15 मिलीग्राम की प्रतिदिन एक टिकिया चार दिन तक दी जाती है।