प्रतिरक्षी पदार्थ की संरचना का सचित्र वर्णन करो/Structure of Antibodies
प्रतिरक्षी(Antibodies) पदार्थ क्या है?इसकी संरचना, गुण और कार्य लिखिए।
उत्तर:- प्रतिरक्षी(Antibodies):- जब कभी शरीर में कोई बाह्य पदार्थ या रोगजनक का संक्रमण होता है तो वह शरीर के अंदर पहुंचने के पश्चात प्रतिरक्षात्मक तंत्र को उद्दीपित करता है इस बाह्य पदार्थ या रोगजनक को ही प्रतिजन(Antigen) कहते हैं। इन प्रतिजनों की अनुक्रिया में B- कोशिकाएँ रुधिर में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन बनाते हैं जो कि रोगजनक या प्रतिजनों से क्रिया करके उन्हें नष्ट करने का प्रयास करती है इस विशिष्ट प्रोटीन को प्रतिरक्षी(Antibody) कहते हैं।T- कोशिकाएँ,B- कोशिकाओं को इस कार्य में सहयोग करती हैं।
प्रतिरक्षी पदार्थ के गुण(Properties of Antibodies):- प्रतिरक्षी पदार्थ के गुण निम्नलिखित हैं-
(1) एंटीबॉडी सीरम हीमोग्लोबिन में पाई जाने वाली ग्लाइकोप्रोटीन होती है, जो कि B- लिंफोसाइट्स के द्वारा या प्लाज्मा कोशिकाओं के द्वारा विशेष प्रकार के एंटीजेन की अनुप्रिया(Response) के लिए उत्पन्न होती है।
(2) सभी एंटीबॉडी इम्यूनोग्लोबिन होते हैं, लेकिन सभी इम्यूनोग्लोबिन एंटीबॉडी नहीं होते हैं।
(3) यह कोशिका झिल्ली से जुड़ जाती है अथवा स्वतंत्र रहती है।
(4) इसके द्वारा ह्यूमोरल प्रतिरक्षा उत्पन्न होती है
(5) ये मोनोस्पेसिफिक अणु होते हैं क्योंकि यह केवल एक प्रकार की एण्टीजेन डिटर्मिनेन्ट से जुड़ पाते हैं।
प्रतिरक्षीयों के कार्य(Function of Antibodies):- प्रतिरक्षीयों के कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) एंटीबॉडी बाह्य पदार्थ या रोगाणु की सतह को इस प्रकार आवृत कर लेता है कि फैगोसाइट(भक्षकाणु) उसे आसानी से पहचान लेता है। इस प्रक्रिया को ऑप्सोनाइजेशन(Opsonisation) कहते हैं।
(2) एंटीजेनों द्वारा स्त्रावित विषैले पदार्थों को उदासीन कर देता है। इसे उदासीनीकरण(Neutralization) कहते हैं।
(3) एंटीबॉडी, एण्टीजेन के साथ जुड़कर बड़े आकार का अघुलनशील जटिल पदार्थ बनाता है, जिसके कारण एण्टीजेन के विशेष जैविक कार्यों में बाधा पहुंचती है इस प्रक्रिया को एग्लूटिनेशन(Agglutination) कहते हैं।
प्रतिरक्षी पदार्थ की संरचना(Structure of Antibody):- प्रतिरक्षी पदार्थ इम्यूनोग्लोबिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं प्रत्येक प्रतिरक्षी अणु में चार-चार पॉलिपेप्टाइड श्रंखला में होती हैं। यह श्रंखलाएँ आपस में डाईसल्फाइड(S-S) बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं। इनमें से दो हल्की(L) एवं दो भारी(H) श्रंखला में होती हैं। भारी श्रृंखला में अमीनो अम्लों की संख्या(400) अधिक होती है। पॉलिपेप्टाइड श्रंखला को H2L2 के रूप में दर्शाया जाता है। अधिकांश प्रतिरक्षी एकलक(Monomer) की भांति कार्य करते हैं प्रतिरक्षी के पॉलिप्टाइड ' Y '(वाई ) के आकार की संरचना बनाते हैं। Y संरचना की निचली सीधी भुजा भारी श्रंखलाओं की बनी होती है जबकि ऊपरी भुजाओं में हल्की एवं भारी दोनों प्रकार की पॉलिपेप्टाइड श्रंखला पाई जाती हैं।
इम्यूनोग्लोबिन पांच प्रकार के होते हैं- IgA, IgD, IgE ,IgG एवं IgM.