समसूत्री विभाजन और अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर/Samsutri vibhajan aur ardhsutri vibhajan me antar
प्रश्न :- समसूत्री विभाजन क्या है? इसका महत्व लिखिए।
उत्तर- समसूत्री विभाजन:- सर्वप्रथम इसे स्ट्राबर्गर ने 1870 में पादप कोशिकाओं में देखा। इस प्रकार के विभाजन में एक कोशिका से दो पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है जिनमें गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है इस कारण इसे समसूत्री विभाजन या सूत्री विभाजन कहते हैं।
समसूत्री विभाजन का महत्व/Samsootri Vibhajan Ke Mahatva:– समसूत्री विभाजन का महत्व निम्नलिखित है-
(1). समसूत्री विभाजन द्वारा जीवों के शरीर का निर्माण होता है। अतः यह वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक होता है।
(2) . निम्न श्रेणी के पौधों तथा जंतुओं में समसूत्री विभाजन द्वारा प्रजनन होता है।
(3). विभाजन के बाद बनने वाली कोशिकाएँ मातृ कोशिकाओं के समान होती हैं।
(4). यह गुणसूत्रों की संख्या के संतुलन में सहायक होती हैं
(5). यह कोशिका के केंद्रक और साइटोप्लाज्म के संतुलन को बनाए रखती है।
(6). किसी घाव के स्थान पर मृत कोशिकाओं का प्रतिस्थापन समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।
प्रश्न :- अर्ध्दसूत्री विभाजन क्या है? इसका महत्व लिखिए।
उत्तर- अर्ध्दसूत्री विभाजन:- इस प्रकार की कोशिका विभाजन को सर्वप्रथम बीजमैन ने 1887 में देखा। यह एक दोहरे विभाजन की प्रक्रिया है। जो जनन कोशिकाओं में संपन्न होती है। इसके फलस्वरूप एक मातृ कोशिका से चार पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है इस विभाजन के फलस्वरुप संतति कोशिकाओं में मातृ कोशिकाओं की अपेक्षा गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
अर्धसूत्री विभाजन का महत्व:– अर्धसूत्री विभाजन का महत्व निम्नलिखित है–
1. अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप बने युग्मकों गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। लेकिन जनन में नर तथा मादा युग्मकों के मिलने से द्विगुणित जाइगोट का निर्माण होता है। इस प्रकार अर्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन के फलस्वरूप प्रत्येक जाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।
2. अर्धसूत्री विभाजन के समय विनिमय के कारण गुणसूत्रों की संरचना बदल जाती है, इससे भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। जैव विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार होती हैं।
अर्धसूत्री विभाजन का महत्व– अर्धसूत्री विभाजन का महत्व निम्नलिखित हैं–
(1).अर्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन के फलस्वरूप प्रत्येक जाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।
(2).अर्धसूत्री विभाजन के समय विनिमय के कारण गुणसूत्रों की संरचना बदल जाती है।
(3).अर्धसूत्री विभाजन से भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। जैव विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार होती हैं।
समसूत्री विभाजन और अर्धसूत्रीविभाजन में क्या अंतर है?
समसूत्री विभाजन और अर्धसूत्रीविभाजन में अंतर/
Differences between Mitosis and Meiosis
समसूत्री विभाजन की विशेषताएँ– समसूत्री विभाजन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं–
(1).यह विभाजन कायिक कोशिकाओं में होता है।
(2). इस विभाजन में एक कोशिका दो कोशिका में विभाजित हो जाती है।
(3). यह प्रक्रिया एक ही चरण में संपन्न होती है।
(4). इसमें जनक कोशिका तथा संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या समान होती है।
(5). समसूत्री विभाजन लैंगिक जनन तथा अलैंगिक जनन दोनों में होता है।
(6).यह कोशिका के केंद्रक और साइटोप्लाज्म के संतुलन को बनाए रखती है।
(7).विभाजन के बाद बनने वाली कोशिकाएँ मातृ कोशिकाओं के समान होती हैं।
अर्धसूत्री विभाजन की विशेषताएँ– अर्धसूत्री विभाजन की विशेषता निम्नलिखित हैं–
(1). यह विभाजन जनन कोशिका में होता है।
(2). इस विभाजन में एक कोशिका चार कोशिका में विभाजित हो जाती है।
(3). यह प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न होती है।
(4). इसमें संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका से आधी होती है।
(5). अर्धसूत्रीविभाजन केवल लैंगिक जनन में होता है।
(6). अर्धसूत्री विभाजन से भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।जैव विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार होती हैं।