समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
निबंध :–समाचार-पत्र
अथवा
समाचार-पत्रों की उपयोगिता
“धुंधलाए फिर न कभी रोशनी चिरागों की
मुरझाए फिर न कभी मिट्टी की शहजादी।“
[रूपरेखा :–– 1 प्रस्तावना, 2. इतिहास, 3. सम्पादक, 4. ज्ञान वृद्धि का साधन, 5. समाचार-पत्रों का महत्त्व, 6. समाचार-पत्र का दायित्व, 7. दुरुपयोग से हानियाँ, 8. उपसंहार ॥]
(1).प्रस्तावना :–– प्राचीन काल में मनुष्य की जिन्दगी आधुनिक युग की तरह प्रगतिशील नहीं थी फिर भी उनके मनमानस में समाचार जानने की आकांक्षा छिपी हुई थी। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ इसके साथ ही मनुष्य ने यह अनुभव किया कि यह दुनिया बहुत विस्तृत है। इस बात का पता उसे अन्वेषणों के माध्यमों से हुआ। आज विज्ञान ने समस्त संसार को एक कुटुम्ब के रूप में परिवर्तित कर दिया है। आज विश्व के किसी कोने में घटित होने वाली घटना सारी दुनिया पर अपना प्रभाव डालती है। ऐसी दशा में हम एक-दूसरे के समाचार जानने के लिए उत्सुक एवं प्रतीक्षारत् रहते हैं। इस एकता की भावना ने समाचार जानने की उत्कण्ठा जायत की। अतः समाचार-पत्रों की जरूरत का उसे आभास हुआ।
(2). इतिहास:–– समाचार-पत्र का उद्गम तेरहवीं शताब्दी में इटली के वेनिस नगर में हुआ। सत्रहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में इसका व्यापक रूप से प्रकाशन होने लगा। तत्पश्चात् धीरे-धीरे समाचार-पत्रों का प्रसार पूरे विश्व में होने लगा।
भारत में इसकी उत्पत्ति सन् 1780 को "बंगाल गजट" के साथ ही हुई। वैज्ञानिक आविष्कारों में मुद्रण यन्त्रों के साथ ही समाचार-पत्रों का विकास भी होता गया। आज देश का छोटे से छोटा गाँव एवं नगर समाचार-पत्र के आलोक से प्रकाशित हो रहा है।
(3).सम्पादक एवं समाचार पत्र:–– समाचार-पत्र के सन्दर्भ में सम्पादक का बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है। उसे अनेक समाचारों में से अनिवार्य एवं समसामयिक समाचारों का चयन करना पड़ता है। समाचार चयन में सम्पादक की प्रतिभा, दूरदृष्टि तथा कुशल बुद्धि की आवश्यकता है। समाचार-पत्र का स्तर सम्पादक की कुशलता पर निर्भर करता है। इसमें दैनिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों का सम्यक रूप से आंकलन होता है।
(4). ज्ञान वृद्धि का साधन:–– समाचार-पत्र का ज्ञान वृद्धि में अपूर्व योगदान है। कहानी, नाटक उपन्यास, कविताओं एवं साहित्यिक समीक्षाओं से पाठकों के ज्ञान में वृद्धि होती है। समाचार-पत्रों में साहित्यकारों, राजनेताओं, वैज्ञानिकों के विचारों को पढ़कर पाठक को एक नवीन दिशा प्राप्त होती है। पाठक का दृष्टिकोण व्यापक तथा उदार बनता है। ज्ञान के प्रकाश से पाठक का मन-मस्तिष्क दैदीप्यमान हो जाता है।
(5).समाचार-पत्रों का महत्त्व:––- समाचार पत्र आधुनिक युग की उपलब्धियों का साधन समझे जाते हैं। समाज का विकास, सांस्कृतिक चेतना समाचार-पत्रों के माध्यम से ही आ सकती है।
व्यक्तिगत रूप से भी समाचार-पत्रों का महत्व कम नहीं है। नौकरी के लिए विज्ञापन; वर-वधू की तलाश, शुभकामनाएँ, निमन्त्रण, आभार प्रदर्शन, शोक संदेश आदि में भी समाचार-पत्र काम आता है । अतः समाचार-पत्र सम्पूर्ण विश्व की आवश्यकता का अंग बन गया है।
(6). समाचार-पत्र का दायित्व:–– समाचार पत्र राष्ट्र का सजग प्रहरी है। यह देश की वर्तमान समस्याओं को उजागर करके उनके समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। ये समाज में फैली कुरीतियों, सड़ी-गली मान्यताओं पर प्रहार करके समाज को उनसे उन्मुक्त करने का भागीरथी प्रयास करता है। जब देश स्वतन्त्र नहीं हुआ था तब समाचार-पत्रों के माध्यम से सुप्त नागरिकों को जागृत किया था। तिलक का 'केसरी' एवं 'मराठा' नामक पत्र इस सन्दर्भ में विशेष उल्लेखनीय हैं। इन समाचार-पत्रों ने जनता की आवाज को बुलन्द करके अंग्रेजों के हौंसले पस्त कर दिये थे । उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।
(7). युद्ध काल एवं प्राकृतिक प्रकोप में समाचार:–– पत्र का दायित्व- समाचार पत्र समाज एवं राष्ट्र के हित को ध्यान में रखकर ही छापे जाते हैं। युद्ध काल में समाचार-पत्र अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ये युद्ध के समय जनता का मनोबल बढ़ाने में विशेष रूप से सहायक होते हैं। प्राकृतिक प्रकोप, सूखा, भूकम्प, बाढ़ आदि के समय में समाचार-पत्र ही ऐसा साधन है जो उस क्षेत्र की जानकारी जनसामान्य तक पहुँचाने में सहायक है। जब जनसामान्य को प्राकृतिक आपदा की जानकारी मिलती है तो वह अविलम्ब उस क्षेत्र में पहुँचकर सहायता के कार्य में जुट जाते हैं। इस समय समाचार पत्र के माध्यम से ही जन साधारण से सहायता की अपील की जाती है। समाचार-पत्र सम्पूर्ण विश्व की जानकारी प्राप्त करने का सबसे सस्ता एवं सुलभ साधन है।
(8).दुरुपयोग से हानियाँ:––- समाचार पत्रों की जहाँ उपयोगिता है वहीं इसके दुरुपयोग से हानियों की आशंका है। गलत समाचार जनता को दिग्भ्रमित करते हैं। कभी-कभी साम्प्रदायिक हिंसा एवं तोड़-फोड़ की घटनाएँ पढ़कर आज का युवा वर्ग उसी का अनुसरण करने की होड़ में लगा है। वह अपना भला-बुरा नहीं सोचता। मनगढ़न्त समाचार साम्प्रदायिकता की आग को भड़काते हैं। प्रेम तथा संवेदना को छिन्न-भिन्न कर रहे हैं।
(9). उपसंहार:–– समाचार पत्रों के लाभ अनगिनत हैं। वैसे तो आज वैज्ञानिक युग है। इसके फलस्वरूप मनोरंजन एवं सामूहिक आनन्द महण करने के अनेक साधन हैं, परन्तु सुलभ ज्ञान प्राप्त करने का एक मात्र साधन समाचार-पत्र ही है। समाचार-पत्र जन-साधारण की ज्ञान पिपासा को शान्त करते हैं। देश-विदेश के विभिन्न समाचार हमारी मानसिक भूख को तृप्त करते हैं। यदि हमें आधुनिक समाज की सभ्यता एवं संस्कृति के यथार्थ दर्शन करने हैं, तो उसके प्रतीक एवं साधन समाचार-पत्र ही हैं। समाचार-पत्रों को अपने दायित्व का पूरी ईमानदारी एवं निष्पक्षता निर्वाह करना चाहिए। समाचार-पत्र समाज के पथ-प्रदर्शक होते हैं। राष्ट्र की उन्नति एवं अवनति उन पर ही निर्भर है। अतः हम यह कह सकते हैं कि आदर्श समाचार-पत्र संजीवनी तुल्य हैं। राष्ट्र के लिए परम हितकारी तथा प्रगति की राह दिखाने के अचूक साधन हैं।