निबंध:–– आतंकवाद की समस्या
अथवा
आतंकवाद एक अभिशाप
अथवा
आतंकवाद : समस्या और समाधान
अथवा
आतंकवाद के बढ़ते चरण
रूपरेखा - 1. प्रस्तावना, 2. आतंकवाद का स्वरूप, 3. आतंकवाद का विस्तृत क्षेत्र, 4. भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ, 5. विश्व में आतंकवाद, 6. आतंकवाद का लक्ष्य, 7. उपसंहार ।
(1).प्रस्तावना:–– आज आतंकवाद एक अभिशाप के रूप में समस्त संसार में व्याप्त है। विभिन्न सार्वजनिक स्थलों; जैसे- रेलवे स्टेशन, सिनेमाघरों, हवाई अड्डों, बस - -अड्डों आदि स्थानों पर कभी भी आतंकवादी हमला होने की आशंका बनी रहती है।
(2). आतंकवाद का स्वरूप:–– अपनी बात को आतंक फैलाकर मनवाना ही आतंकवाद है। अपने अधिकार की माँग करना तो उचित है, किन्तु दूसरे की स्वीकृति न मिलने पर अपनी बात को घृणित बल प्रयोगों द्वारा मनवाना ही आतंकवाद है। इनके मंसूबे संकीर्ण विचारों वाले स्वार्थ से सने हुए हैं। इन आतंकवादियों में बहुत से तो धन के लालच में पकड़कर निर्दोष लोगों की हत्या करते फिरते हैं। वे परिमल पराग की बगिया में रक्त के बीज बो रहे हैं। अमराइयों में विनाश का • झूला डाल रहे हैं। कवि के शब्दों में-
"क्या क्रान्ति पहिन लेगी जंजीरें सोने की,
क्या शान्ति सदा मरघट में छिपकर सो जायेगी। "
(3). आतंकवाद का विस्तृत क्षेत्र:–– आज आतंकवाद का क्षेत्र विश्वव्यापी हो गया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय राजीव गाँधी की हत्या है, अमेरिका के राट्रपति केनेडी की हत्या भी इसका जीवन्त प्रमाण है। पंजाब एवं कश्मीर में असंख्य निर्दोष लोगों की हत्या में विदेशी शत्रु राज्यों का विशेष रूप से हाथ रहा है। इस कार्य (आतंकवाद) को करने में अधिकांश रूप से तस्कर भी सम्मिलित हैं।
(4). भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ:–– आतंक पैदा कर एवं भय दिखाकर स्वार्थपूर्ति करने की प्रवृत्ति से असम, नागालैण्ड में विदेशियों के रचे गये कुचक्रों से आतंकवाद पनपा उनके पश्चात् उसका भयानक साया पंजाब, कश्मीर तथा अन्य क्षेत्रों में बुरी तरह से पड़ गया है। श्रीनगर, जम्मू, चेन्नई, रुद्रपुर, हैदराबाद, मुम्बई आदि स्थानों पर तथा रेलवे स्टेशन, रेल आदि पर कुछ आतंकवादी हमलों से न जाने कितने लोग घर से बेघर हो गये। कितनी नारियों का सुहाग छिना। न जाने कितनी माँ तथा बहिनें पुत्र तथा भाई के मारे जाने पर अश्रु बहाती रह गय आतंकवादी गतिविधियाँ भारत में निरन्तर बढ़ रही हैं जो विकास में बाधक सिद्ध हो रही हैं।
(5). विश्व में आतंकवाद:–– आतंकवाद का प्रभाव विश्वव्यापी है। जापान के याकोहामा रेलवे स्टेशन पर विषैली गैस छोड़ देने से बारह व्यक्ति मारे गये। अमेरिका में बम विस्फोट के कारण भयंकर विनाश हुआ। अनेक व्यक्ति मारे गये। अन्य देशों में भी आतंकवाद पैर फैला रहा। है। यद्यपि विश्वव्यापी आतंकवादी संगठन को चलाने वाले ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में मार दिया है। फिर भी ये गतिविधियाँ कम नहीं हो रही हैं।
(6) .आतंकवाद का लक्ष्य:–– आतंक फैलाने का मुख्य लक्ष्य निर्दोषों की हत्या, विमान अपहरण, विमान में बम विस्फोट, रेल एवं बसों में बम रखना, बैंकों की लूट, पानी की टंकियों एवं कुओं में जहर मिलाना, राजदूतों की हत्या इत्यादि द्वारा समाज में दहशत फैलाकर सबका मुँह बन्द कर देना है जिससे कोई भी व्यक्ति उनके विरुद्ध गवाही न दे सके।
(7). उपसंहार:–– आतंकवाद का समाधान राष्ट्रवादी ही कर सकते हैं। राष्ट्र प्रेमी तथा बलिदानी युवक अपने प्राणों की तनिक भी चिन्ता नहीं करते हैं। वे सत्य तथा न्याय से तनिक भी विचलित नहीं होते हैं। वज्र-बिजलियों के पतझर में भी पपीहा अपना स्वर अलापता ही रहता है। आतंकवादी गतिविधियों से हमें विचलित न होकर कवि के निम्नलिखित कथन को हृदय में धारण करके आगे बढ़ना है, देखिए-
"तू फिर क्यों खो बैठा साहस,
देख घिरा सिर पर दुःख बादल
और भुला बैठा क्यों तुझमें
शेष अभी जीवन-यौवन भी ?"