संक्षारण किसे कहते हैं? | Sancharan kise kahate hain?
प्रश्न :- संक्षारण क्या है संक्षारण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक लिखते हुए संक्षारण से बचने के उपाय लिखिए।
उत्तर :- संक्षारण की परिभाषा:- वायुमंडल में उपस्थित गैसों और नमी द्वारा धातुओं का शनैः शैनः नष्ट होने की क्रिया को संक्षारण कहते हैं।
उदाहरण:- जब लोहे को वायुमंडल में खुला छोड़ दिया जाता है तो उस पर एक लाल भूरे रंग की एक परत बन जाती है जिसे जंग(Rust) कहते हैं।
संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक:- संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
(1) धातु की प्रकृति:- विद्युत रासायनिक श्रेणी में किसी धातु का स्थान जितने ऊपर होता है वह उतनी ही ज्यादा क्रियाशील होती है और शीघ्रता से संक्षारित हो जाती है।
(2) अशुद्धियों की उपस्थिति:- अशुद्धियों की उपस्थिति में धातु की सतह पर छोटे-छोटे संक्षारण सेल बन जाते हैं अतः अशुद्धियों की उपस्थिति में संक्षारण की दर बढ़ जाती है।
(3) वायुमंडल की प्रकृति:- वातावरण में नमी खारा पानी अथवा CO2, SO2 आदि गैसें उपस्थित होने पर संक्षारण की दर बढ़ जाती है क्योंकि यह कहते हैं विद्युत अपघट्य की तरह कार्य करके सेल अभिक्रिया को बड़ा देती हैं।
(4)माध्यम का PH:- क्षारीय माध्यम में संक्षारण धीमी गति से होता है जबकि अम्लीय माध्यम में संक्षारण तीव्रता से होता है।
(5)जल में CO2 की उपस्थिति:-जल में CO2 घुली होने पर संक्षारण तीव्रता से होता है क्योंकि CO2 मुक्त जल विद्युत अपघटन का कार्य करता है।
(6) धातु की सतह :- समतल या चिकनी सतह वाली धातु का संक्षारण मुड़ी हुई या खुरदरी सतह वाली धातु की तुलना में कम होता है।
संक्षारण से बचाव के उपाय:- संक्षारण से बचाव के उपाय निम्नलिखित हैं-
(1) रोधिका रक्षण(Barrier Protection):- इस विधि में धातु की सतह और वायुमंडल के बीच अवरोध स्थापित करके धातु को संक्षारित होने से बचाया जाता है अवरोध स्थापित करने के लिए निम्नलिखित विधियों का उपयोग किया जाता है-
1. धातु की सतह पर पेंट करना
2. धातु की सतह पर ग्रीस या तेल की पतली परत लगाना।
3. धातु की सतह पर विद्युत लेपन द्वारा किसी ऐसी धातु की परत चढ़ाना जो कम संक्षारित होती है।
(2) जंग विरोधी विलयन लगाना:- धातुओं (लोहे ) की वस्तुओं को जंग से बचाने के लिए उन्हें को उबलते हुए क्षारीय फॉस्फेट या क्षारीय क्रोमेट विलयन में डुबो दिया जाता है जिससे उनके ऊपर धातु के फॉस्फेट या क्रोमेट की पतली परत चढ़ जाती है यह परत लोहे को जंग से बचाती है।
(3) कैथोडिक संरक्षण:- इस विधि द्वारा धातु की उन वस्तुओं को संक्षारण से बचाया जाता है जो जमीन के अंदर दबी होती हैं या लगातार जल के संपर्क में रहती हैं जैसे- लोहे के पाइप , पेट्रोल या डीजल के टैंक, जहाज की पेंदी आदि।
(4) उत्सर्ग या बलिदानी संरक्षण (Scarification protection):- इस विधि में धातु की सतह पर किसी अधिक क्रियाशील धातु की परत चढ़ा दी जाती है जिससे अधिक क्रियाशील धातु स्वयं संक्षारित होकर मूल धातु का बचाव करती है जैसे- लोहे को जंग से बचाने के लिए उस पर जिंक की परत चढ़ा दी जाती है इस क्रिया को गैग्वेनिकरण कहते हैं।