रक्त और लसीका में अंतर/ Difference Between Blood & Lymph
रक्त किसे कहते हैं?
उत्तर:–रक्त एक परिसंचारी तरल ऊतक है जो रक्त वाहिनियों एवं ह्रदय में होकर पूर्ण शरीर में निरन्तर परिक्रमा करके पदार्थों का स्थानान्तरण करता रहता है। रक्त क्षारीय माध्यम का होता है तथा इसका pH 7.4 होता है। मनुष्य में लगभग 5 लीटर रक्त पाया जाता है। लाल रक्त कणिकाएँ- ये कणिकाएँ गैसों के परिवहन एवं गैस विनिमय का कार्य करती है।
रक्त के कार्य /Function of blood:–
उत्तर:- रक्त के कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) रक्त शरीर के ताप को नियंत्रित करता है।
(2) रक्त ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
(3) रक्त हमारे शरीर को रोगों से बचाता है।
(4) रक्त हार्मोन्स का परिवहन करता है।
(5) रक्त हमारे शरीर के साम्यावस्था को नियंत्रित करता है।
(6) रक्त घावों तथा चोटों को भरता है जैसे रक्त का थक्का बनना कहते हैं।
(7) रक्त कोशिकाओं को पोषण प्रदान करता है।
रक्त का महत्व/ लक्षण:–
उत्तर:- रक्त का महत्व या लक्षण निम्नलिखित हैं-
(1) रक्त शरीर के ताप को नियंत्रित करता है।
(2) रक्त ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
(3) रक्त हमारे शरीर को रोगों से बचाता है।
(4) रक्त हार्मोन्स का परिवहन करता है।
(5) रक्त हमारे शरीर के साम्यावस्था को नियंत्रित करता है।
(6) रक्त घावों तथा चोटों को भरता है जैसे रक्त का थक्का बनना कहते हैं।
(7) रक्त कोशिकाओं को पोषण प्रदान करता है।
लसिका क्या है? इसके कार्य लिखिए।
अथवा
लसिका किसे कहते हैं? इसका महत्व लिखिए।
उत्तर:– यह एक अन्य प्रकार का द्रव है जो शरीर में वहन में भी सहायता करता है, इसे लसिका या तरल उत्तक कहते हैं। केशिकाओं की भित्ति में उपस्थित छिद्रों द्वारा कुछ प्लाजमा, प्रोटीन तथा रुधिर कोशिकाएँ बाहर निकलकर ऊतक के अंतर्कोशिकीय अवकाश में आ जाते हैं तथा ऊतक लसीका का निर्माण करते हैं। यह रुधिर के प्लाज्मा की तरह ही है लेकिन यह रंगहीन होता है इसमें अल्प मात्रा में प्रोटीन होते हैं। लसीका अंतर्कोशिकीय अवकाश लसीका केशिकाओं में चला जाता है जो आपस में मिलकर बड़ी लसीका वाहिका बनाती है और अंत में बड़ी शिरा में खुलती है। हमारे शरीर में रक्ताभिसरण केशवाहिनियों होते समय रक्त का कुछ द्रव्य पदार्थ केशवाहिनियों से गिरता रहता है और विभिन्न ऊतकों मैं तथा उसके आसपास फैलता जाता है यह रस लसिका (Lymph) कहलाता है।
लसिका के कार्य/Function of Lymph:– लसीका के कार्य निम्नलिखित हैं–
(i) शरीर के उन स्थानों पर जहाँ रक्त की सूक्ष्म वाहिनियाँ नहीं हैं वहाँ पर लसिका वाहिकायें ही पोषण पहुँचाती हैं।
(ii) लसिका तन्त्र रक्त द्वारा छाना गया द्रव्य पदार्थ वापस लाकर रक्त में मिला देता है।
(iii) लसिका रक्त की ऑक्सीजन को ऊतकों तक पहुँचाती है तथा चयापचय के फलस्वरूप उत्पन्न कार्बन- डाइऑक्साइड वापस रक्त में शुद्ध होने के लिए डाल देती है।
(iv) लसीकीय नोड्स रोगाणुओं को नष्ट करने में सहायता करते हैं।
लसिका का महत्व:– लसिका का महत्व निम्नलिखित हैं–
(i) शरीर के उन स्थानों पर जहाँ रक्त की सूक्ष्म वाहिनियाँ नहीं हैं वहाँ पर लसिका वाहिकायें ही पोषण पहुँचाती हैं।
(ii) लसिका तन्त्र रक्त द्वारा छाना गया द्रव्य पदार्थ वापस लाकर रक्त में मिला देता है।
(iii) लसिका रक्त की ऑक्सीजन को ऊतकों तक पहुँचाती है तथा चयापचय के फलस्वरूप उत्पन्न कार्बन- डाइऑक्साइड वापस रक्त में शुद्ध होने के लिए डाल देती है।
(iv) लसीकीय नोड्स रोगाणुओं को नष्ट करने में सहायता करते हैं।