विभाषा और बोली में अंतर / Vibhasha aur boli mein antar
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे बोली किसे कहते हैं। बोली क्या होती है। बोली का क्या अर्थ है। विभाषा किसे कहते हैं। विभाषा की विशेषताएं लिखिए। विभाष और बोली में अंतर बताइए। मातृभाषा किसे कहते हैं तथा मातृभाषा की विशेषताएं लिखिए क्योंकि यह परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है इसलिए आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें धन्यवाद।
बोली किसे कहते हैं?
उत्तर;– किसी छोटे क्षेत्र के लोगों द्वारा व्यवहार में प्रयोग की जाने वाली भाषा को बोली कहते हैं। यह क्षेत्र विशेष तक ही सीमित होती है इसमें देशज शब्दों का प्रयोग होता है। बोली क्षेत्र विशेष में ही वार्तालाप में प्रयोग की जाती है।
विभाषा किसे कहते हैं?
उत्तर:– बोली उन्नति करके विभाषा का रूप ग्रहण कर लेती है विभाषा को उपभाषा भी कहा जाता है इसका क्षेत्र बोली से अधिक व्यापक होता है परंतु भाषा से कम व्यापक होता है एक प्रदेश या प्रदेश के बड़े हिस्से में सामाजिक व्यवहार या साहित्य में प्रयोग की जाने वाली भाषा विभाषा या उफभाषा होती है। राजस्थानी, पश्चिमी हिंदी, पूर्वी हिंदी, बिहारी, गढ़वाली आदि विभाषाएँ हैं।
विभाषा की विशेषताएँ:– विभाषा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं–
(1).विभाषा बोली का अर्ध विकसित रूप होता है।
(2).विभाषा केवल साहित्य तथा बोल चाल तक ही सीमित होती है।
(3).भाषा में साहित्य तो रहता है परंतु उसे महत्ता प्राप्त नहीं हो पाती है।
(4).विभाषा का क्षेत्र सीमित होता है।
• उदाहरण - ब्रज और अवधि
(5).भाषा में साहित्य तो रहता है परंतु उसे महत्ता प्राप्त नहीं हो पाती है।
विभाषा और बोली में अंतर लिखिए
उत्तर:– विभाषा और बोली में अंतर निम्नलिखित है–
विभाषा और बोली में अंतर/Vibhasha or boli mein antar
मातृभाषा किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:– शिशु का सर्वप्रथम परिचय मां से होता है उसी से बोलना आदि सीखता है। इसलिए मां द्वारा बोली जाने वाली भाषा मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा पालन पोषण की भाषा होती है माता पिता परिवार तथा निकट के लोगों से बच्चा इस भाषा को सीखता है इसका ज्ञान आवश्यक है क्योंकि मातृभाषा के बिना कोई काम नहीं हो पाता है पंजाब की पंजाबी बंगाल की बंगला हिंदी क्षेत्र की हिंदी मातृभाषा है।
मातृभाषा की विशेषताएँ:– मातृभाषा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं–
(1). माँ द्वारा बोली जाने वाली भाषा मातृभाषा कही जाती है।
(2). पालन में शिशु माँ से इस भाषा को सीखता है।
(3). माता-पिता, परिवार एवं निकट के लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है।
(4). सभी की मातृभाषा एक होना आवश्यक है। यह भाषा स्वतः ही शिशु सीख जाता है। व्यक्ति उसे आसानी से बोल नहीं पाता है इस भाषा से व्यक्ति का आत्मीय लगाव होता है।